मंदिर का रहस्य लेखनी कहानी -12-Dec-2021
भाग -4 मंदिर का रहस्य
घर आकर भी बार बार कृतिका के मन में यही चल रहा था कि आखिर क्या हुआ होगा। उसकी भूख प्यास सब खत्म हो गई थी, मम्मी बार बार हाथ मुँह धोकर खाने के लिए बुला रही थी पर कृतिका बिना स्कूल ड्रैस चेंज किए ही अपने बिस्तर पर आकर लेट गई। क्या पहले ही वो कम परेशान थी मैंथ्स क्लास को लेकर अब ये नई मुसीबत। क्या हो रहा है स्कूल में, अनन्या का शक ठीक ही है मुझे उससे बात करनी ही होगी सोचकर वो निकल गई अपने रूम से अनन्या के घर जाने के लिए। मम्मी आवाज देती रही, पहले खा तो ले स्कूल ड्रैस भी चेंज नहीं की अब तक।
टयुशन में आज टैस्ट है, अनन्या के घर जा रही हूँ वही ं से टयुशन चली जाऊंगी.. कहते हुए कृतिका किताब काॅपी हाथ में पकड़े चल दी अनन्या की घर की तरफ।
और उसकी मम्मी सोचती रही खा कर तो जाती कम से कम.. पता नहीं इस लड़की का क्या करूं मैं। मेरी बात ही नहीं मानती। पढ़ाई का बोझ बढ़ रहा है और ये खाने पीने का ध्यान नहीं रखती। कितनी कमजोर होती जा रही है मेरी बिटिया।
उधर अनन्या के घर..
अरे! कृति अभी स्कूल जाना है क्या?? तूँ स्कूल ड्रैस में इस समय। आज रचना दीदी मैथ्स का टैस्ट लेने वाली हैं, भूल गई क्या?? अनन्या कृतिका को पानी का गिलास पकड़ाते हुऐ कहती है तूँ बहुत परेशान लग रही है यार! सब ठीक तो है।
अनि प्लीज़ अभी मेरे साथ चलेगी आधे घंटे में वापस आ जाऐंगे टयुशन टाईम से पहले। कृतिका एक ही घूँट में पानी पीकर कहती है।
कहाँ जाना है ये तो बता.. चलूंगी तेरे साथ जहाँ तूँ कहेगी.. जहन्नम में भी तेरा साथ ना छोड़ूंगी।
अच्छा बस पाँच मिनट का समय दे कुछ खा लेती हूँ.. दीदी की आज एक्सट्रा क्लास थी तो वो आने वाली होगी। चल तब तक कुछ खा लेते हैं, तुझे देखकर लग रहा है कि तूने भी कुछ नहीं खाया है। मम्मी सुबह आलू के पराँठे बनाकर रख गई हैं.. मैं गर्म करके लाती हूँ।
कृतिका और अनन्या खाने के बाद जैसे ही गेट से निकली अनन्या की बहन अपने काॅलेज से आ रही थी। अनन्या और कृतिका को बाहर जाते देख पूछने लगी , "कहाँ चल दी दोनों सहेलियां?? अभी तुम्हारे टयुशन का टाईम तो नहीं हुआ और कृतिका तो लगता है स्कूल से सीधा तेरे पास ही आ गई। " अनन्या की बहन मानसी बड़े गौर से दोनों को देख रही थी।
"कुछ नहीं दीदी बस जरा सैंपल पेपर खरीदने जा रहे हैं.. "अनन्या ने कहा तो मानसी बड़बड़ाते हुऐ उसके हाथ से चाबी ले लिया।
थोड़ा आगे बढ़ने के बाद अनन्या से रहा नहीं गया यार प्लीज कृति अब तो बता ना कहाँ जाना है, दीदी से झूठ बोल तो दिया पर वो तहकीकात करेगी जरूर।
हाँ तहकीकात करने ही चलना है, डाबड़ी के उस मंदिर के
आस-पास के लोगों से बात करने पर शायद पता चल जाऐ कि माज़रा क्या है। रीना को इस मंदिर में अपनी सहेलियों के साथ आते हुऐ कई बार देखा था। क्या राज है इस मंदिर का जानना जरूरी है... तूँ ठीक कहती है इस मंदिर में कुछ तो गड़बड़ है।
क्रमशः
कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
कहानी से जुड़े रहने के लिए आभार 🙏
Seema Priyadarshini sahay
10-Jan-2022 01:47 AM
बहुत खूबसूरत भाग लिखा आपने
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Kavita Jha
20-Dec-2021 02:24 PM
थैंक्यू अपूर्वा जी 😊 पर लग रहा है हम पोस्ट करने में गड़बड़ी कर रहे हैं
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🤫
20-Dec-2021 02:02 PM
कहानी तो और भी इंट्रेस्टिंग होती जा रही है।
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